कविता सुनें

राफेल वाफेल फेल सब


राफेल वाफेल फेल सब, रहा वाक का युद्ध |
उनकी भाषा जब सुनो, मन होता है क्रुद्ध ||

पप्पू सच पप्पू बने, गप्पू मारें आँख | 
संसद की गरिमा नही, न जानें वह साख || 

देश क्रिकेट मैदान सा, जिनकी छोटी सोंच |
नोचो जितना हो सके, यह चटुअन  का देश ||

बांटो-खाओ की पृथा, चली बहुत से साल |
अब चलनी ना चाहिये, यह मोदी का खयाल ||

धर्म बांटते राजनीति के, लोलुप कुछ ही लोग |
बाप बताते बाबर को, माँ का है संयोग ||

धर्म बांटकर देश बांटते, टुकड़े टुकड़ी सोंच |
पाकिस्तान खरोंच सा, क्या चाहो तुम मोंच ||

समय अभी भी है सखे, सुधरो जागो लोग |
दो हजार उन्नीस को, दो उड़ान का भोग ||

कोई मोदी-मोदी कहे, नमो - नमो की सीख |
हम खीझे उस भाव से, जो पंजे में दीख ||


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