उनकी भाषा जब सुनो, मन होता है क्रुद्ध ||
पप्पू सच पप्पू बने, गप्पू मारें आँख |
संसद की गरिमा नही, न जानें वह साख ||
देश क्रिकेट मैदान सा, जिनकी छोटी सोंच |
नोचो जितना हो सके, यह चटुअन का देश ||
बांटो-खाओ की पृथा, चली बहुत से साल |
अब चलनी ना चाहिये, यह मोदी का खयाल ||
धर्म बांटते राजनीति के, लोलुप कुछ ही लोग |
बाप बताते बाबर को, माँ का है संयोग ||
धर्म बांटकर देश बांटते, टुकड़े टुकड़ी सोंच |
पाकिस्तान खरोंच सा, क्या चाहो तुम मोंच ||
समय अभी भी है सखे, सुधरो जागो लोग |
दो हजार उन्नीस को, दो उड़ान का भोग ||
कोई मोदी-मोदी कहे, नमो - नमो की सीख |
हम खीझे उस भाव से, जो पंजे में दीख ||
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स्वीकृति 24 घंटों के बाद