कविता सुनें

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गजल (यह फूल सी आँखें)

January 25, 2021
  गजल (यह फूल सी आँखें) तुम्हारी आँखें तुम्हारे हुस्न का जवाब लगती हैं मानो डूब जाता हूँ मेरा यह ख्वाब लगती हैं न देखो तुम मेरी आँखों में अप...

कितने अंतर्भावो को मै और समेटूं अपने मन में

June 19, 2020
कितने अंतर्भावो को मै और समेटूं अपने मन में | अपना सिन्धु बरसता हरदम सत्य सनातन जीवन में || खुले कपाटों का घर जैसे मंदिर का हर क...