जो इंसान समझता सब कुछ
अस्तित्व नहीं है उसका कुछ
हीरो - वीरो जीरो हैं सब
दीपक जाता है जब बुझ
पूछ हृदय से गंगू तेली
झूठी है यह गुड की भेली
राजा भोज बेचारा कब का
चला गया बस रेल - रेली
आज सभा सम्बोधित करता
कहाँ बचा क्या उसका कुछ
सब क्षण भंगुर नाशवान है
किसकी कथा बुझानी है
कौन बचा है अपना साथी
जिसका जीवित अपना हाथी
साथ हमारा दे -दे वह तो
मानू उसको है वह कुछ
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स्वीकृति 24 घंटों के बाद