कविता सुनें

भिखारी या भगवान


भिखारी ने .....
भीख माँगा
और, दे दिया वरदान
बताओ ?
वह भिखारी है या भगवान
अरे!
तुम क्यों नही लेते
उसकी दुआवों को
तुम उसको ,कुछ दो-
या न दो
वह चला जाएगा
और वापस..........
लौटकर
कल फिर आएगा
पहचान जाओ -
तो भला
न पहचान पाओ
तो भी भला
आख़िर...........
इंसान तो... हो ही
कुछ पहचान पाना
तुम्हारे, बस में भी नही
जो कुछ हो
लूले....
लंगडे....
अपाहिज ....
सब कुछ सही !!

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