कविता सुनें

धूप का फूल


मे त्रसित हूँ त्रास का ,

अभिशाप मेरी जिंदगी |

भक्ति भी भगवान की ,

छल रही है वंदगी ||

पल रही है वेदना ,

शक्ति का स्वरूप ले |

कोई नही जो सीचता ,

हम खिले है धूप ले ||

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