आध्यात्मिक दोहे
(१)
परिभाषा मैं प्रेम की , ना बतलाऊ तोय |
यह सब जानोगे सखे , जाओगे जब खोय ||
(२)
पाओगे तुम कुछ नही , सब हममे साकार |
निराकार तुम खोजते , जो तेरा आकार ||
(३)
सबका त्याग तपस्या, सब मे ब्यापे रोग |
बलिहारी हे वेदना , तू सबका हो भोग ||
(४)
निधि जीवन की जा बसी, जिसमे मेरे कर्म |
धर्म जो कोई मापता , वह जाने बस मर्म ||
(५)
उस मंदिर की जा गली , जिसमे हो भगवान |
कोई न मूरति पूजता , सब पूजें इंसान ||
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स्वीकृति 24 घंटों के बाद