दिवंगत माँ को सादर समर्पित
माँ दृश्य तुम्हारे मृत्यु समय का ,
लेकर शब्द संजोया है |
सभी सनातन कहने वालों ,
मन बहुत व्यथित हो रोया है ||
कांधे पर थी सृष्टि समर्पित ,
जिसका मई आभारी हूँ |
क्या कहता मै ? रोता कितना ?
शून्य सृष्टि मै सारी हूँ ||
दम्भ नहीं कुछ भेद-भाव का ,
स्तम्भ हमारे जीवन का |
टूटा भाव समर्पित होकर ,
अस्तित्व नहीं कुछ जीवन का ||
कौन हिमालय सा सिंघासन ?
किसको तीरथ-धाम कहूँ ?
कौन हमें कुछ देनेवाला ?
किसको मै सम्मान कहूँ ?
सब व्यर्थ ढोल का पोल ,।
विवादित जग का ढांचा |
बस अपने मन के भाव ,
उकेरा मन से मन पर खांचा ||
No comments:
Post a Comment
स्वीकृति 24 घंटों के बाद