कविता सुनें

सभी सनातन कहने वालों

दिवंगत माँ को सादर समर्पित 



माँ दृश्य तुम्हारे मृत्यु समय का ,
लेकर शब्द संजोया है |
सभी सनातन कहने वालों ,
मन बहुत व्यथित हो रोया है ||

कांधे पर थी सृष्टि समर्पित ,
जिसका मई आभारी हूँ |
क्या कहता मै ? रोता कितना ?
शून्य सृष्टि मै सारी हूँ ||

दम्भ नहीं कुछ भेद-भाव का ,
स्तम्भ हमारे जीवन का |
टूटा भाव समर्पित होकर ,
अस्तित्व नहीं कुछ जीवन का ||

कौन हिमालय सा सिंघासन ?
किसको तीरथ-धाम कहूँ ?
कौन हमें कुछ देनेवाला ?
किसको मै सम्मान कहूँ ?

सब व्यर्थ ढोल का पोल ,।
विवादित जग का ढांचा |
बस अपने मन के भाव ,
उकेरा मन से मन पर खांचा ||

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