कविता सुनें

कैसा शिकारी ?



कैसा शिकारी ,है बता -
जो भीख माँगे 
भान मे 
ग्यान मे 
सब कुछ लुटाए 
कुछ ना जुटाए 
मान मे 
कान मे
बोले नही
बस वह दहाड़े
प्रान मे
इंसान बनकर
लूटता 
डूबता
इंसान मे !

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