आज देश फिर खतरे में है , राजनीति बलखाई ||
जातिवाद का चश्मा सब पर , जोड़ तोड़ में धर्म है |
संप्रदाय के दंगे ज्यों-ज्यों , राजनीति गरमाई ||
ऐसा है गठजोड़ , विभाजन अपनों का अपनों से |
सब यथार्थ में ढूंढ रहे हैं , खोने वाले सपनों से ||
कुर्सी का लालच , मोह पिपासा आशा में सिंघासन है |
अब सिरहाने देश नही है , ऐसी मति विकसाई ||
नंगेपन का नाच देखने , को खुशहाली समझें |
बुझे-बुझे चेहरों को सब , अपनी लाली समझें ||
आज सफेदी दिखने को है , अन्दर तो बस कल्मष है |
नेताजी की नीति कलंकित , भ्रष्टाचारी आई ||
नही देश का हित सपने में , बनकर गिद्ध खसोटो सब कुछ |
सीमा की भी लाज न समझो , अपने में यूँ जाओ बुझ ||
क्रूर हृदय के कोमल पंछी , बगुले हो तुम जीवन के |
राजनीति के खटपट पथ पर , आशा यूँ मुरझाई ||
करन बहादुर ,बादलपुर ,दादरी ,गौतमबुद्ध नगर -203207
मोबाईल - 09717617357
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स्वीकृति 24 घंटों के बाद