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गजल (यह फूल सी आँखें)

 


गजल (यह फूल सी आँखें)

तुम्हारी आँखें तुम्हारे हुस्न का जवाब लगती हैं
मानो डूब जाता हूँ मेरा यह ख्वाब लगती हैं

न देखो तुम मेरी आँखों में अपनी डालकर नजरें
दिलों के तार जुडते हैं दिलों के पार हैं नजरें

नशा इनसे कोई आये तो अपनी नींद उड़ती है
शराबी हैं यही आँखें जो आँखें चार जुड़ती हैं

मै न लिखूँ खंजर कोई हैं यह फूल सी आँखें
खुशबू बिखेरें देख लूँ तो कुछ कहने लगें आँखें

जो बातें आप करते हो वो बातें आँख करती हैं
भूलूँ जब कभी तुमको ये आँखें आश भरती हैं

करन बहादुर, बादलपुर, दादरी, गौतमबुद्ध नगर - 203207 
मोबाईल – 09717617357 , 9015151607

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