सुबह लालिमा लेकर सूरज ,
आया है पूरब की ओर |
जागो - जागो सुबह हुई है,
मेरे प्यारे नंद किशोर ||
जाग उठी चिड़िया चहकीली ,
फूलों की मुस्कान रसीली |
वृक्ष सभी हैं भरें चेतना ,
निर्झर झरनों का सुन शोर ||
मोती जैसे चमक उठी है ,
धरती पर पानी की बूंद |
बिखर रहीं सूरज की किरणे ,
वसुंधरा पर चारों ओर ||
कांवा बोला, कोयल बोली ,
तोते की सुन आप ठिठोली |
उड़ रहे कबूतर मस्त मगन हो ,
नाच उठा उपवन का मोर ||
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स्वीकृति 24 घंटों के बाद