कविता सुनें

वह मोदी कहलायेगा




राष्ट्र धर्म की बात करें जो ,

वह मोदी कहलायेगा। 
उसकी खेती खेती खादी खद्दर ,
विश्व विजेता बन जाएगा।।

करे समर्पित अपने मन को ,
तन को धन को भी अर्पण। 
धरती से आकाश चूम ले ,
आकाश भूमि पर आएगा।।

हम तो लिखने वाले सब हैं,
कुछ भी मुझमें शून्य नहीं। 
आधार ह्रदय का सम्मुख होता ,
जो अपना शीश झुकायेगा।।

गौरवगाथा से विस्थापित ,
अपनी शक्ति समर्पित कर दे। 
वर दे वह संत्रास हरे सब,
आप समाहित हो जाएगा।।

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