कविता सुनें

यह स्वतंत्रता गंध सी , देती आस विकास ।

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष



यह स्वतंत्रता गंध सी , देती आस विकास ।
फिर भी कुछ छलियाँ कहें , रुक जाती है साँस||

पंद्रह अगस्त सुवास का , समझें ताज़ी खीर ।
सीमा पर जो वीर हैं , लिख देते तस्वीर ॥

कहते तुझे प्रणाम माँ , तू है अपनी जान ।
सब कुछ तेरे ही लिए , बस अपना सम्मान ॥

चन्दन इसकी सभ्यता , मंथन में जग मूल ।
भाव हमारे सत्य सब , कह देते जग फूल ॥

पाकिस्तान व चीन तो , अपनी नोक समान ।
पर अपराधी हम नहीं , बस देते हैं ज्ञान ॥

हमने तो खोया बहुत , जबतक रहे गुलाम ।
यह अंग्रेजी सभ्यता , यह अंग्रेजी नाम ॥

जिनमें छेद हजार है , वह सिखलाते नीति ।
अपने गीता गाँव की , नाव समझ या जीत ॥

दिवस स्वतंत्रता का यही , पंद्रह यही अगस्त ।
राष्ट्रपर्व जिस देश का , भारत कहें समस्त ॥


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स्वीकृति 24 घंटों के बाद