कविता सुनें

हैं मोतियों में सीपियाँ



इंसान ही जो जानता ,
जाति धर्म नीतियां। 
रीती व रिवास क्या ?
हैं मोतियों में सीपियाँ।।

आदतों में दम्भ है ,
स्तम्भ है विकाश का। 
है सर्व शक्तिमान वह ,
पुंज है प्रकाश का।।

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