हिंदी अपनेपन की भाषा ,
हिंदी अपने मन की भाषा ।
हिंदी से उत्थान देश का ,
विश्वगान की हिंदी भाषा ।।
हिंदी का सिरमौर सुसज्जित ,
श्रेष्ठ हिमालय सी भाषा ।
सागर जैसी क्षमता इसमें ,
यह गागर जैसी है भाषा ।।
भाषा है यह हिंदी है यह ,
यह हिंदुस्तान कि गाथा है ।
विश्व पटल पर अंकित होगी ,
यह अटल हमारी है आशा ।।
सूरज चंदा जैसी भाषा ,
हिंदी का पर्याय नही है ।
हिन्द समूचा हिंदी जैसा ,
विश्वकोश है हिंदी भाषा ।।
करन बहादुर , ग्रेटर नोयडा (उ. प्र.) भारत
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