मैंने नमन किया उनको ,
जिनके भाव विचार गढ़े हैं |
पढ़े लिखे वे नहीं हैं कुछ भी ,
फिर भी क्षमतावान कढ़े हैं ||
घर की रौनक वाही बढ़ाये ,
चंदा सूरज वही उगाये |
पाहिले पहल गिरे धरती पर,
बूझो कितने कौन उठाये ||
रोये और चिल्लाये होगे ,
बौने और बढ़ाये होगे |
उनका सबकुछ अंश दंश है ,
अपने आप सताए होंगे ||
मुन्ना नन्हा और तमन्ना ,
घर की काल कोठारी में हैं |
कोई निकलता कोई उछलता ,
कुछ अन्दर धाक जमाये होंगे ||
धक् –धक् उनकी कौन सुनेगा ,
जिनका तनमन मौन रहेगा |
फिर भी कहता होगा कुछ वह,
अपना बाप बनाये होंगे ||
पाप घड़े का बोल रहा है ,
खड़ा – खड़ा क्यों तौल रहा है |
घुटने टेक लोट जा फिर तू ,
अपनी नाप बताये होंगे ||
मुफ्त नही कुछ मिलता उनका ,
तिनका – तिनका और सपन का |
भाव बदल तू गाँव बदल तू ,
अपना शीश झुकाये होंगे ||
घाटे का क्यों सौदा बोता ,
अपनी नाक क्यों नाम से पोता |
उल्टा सीधा खूब मसल तू ,
खुल – खुल रूप दिखाये होंगे ||
डूब भवन में और भुवन में,
चन्दा सूरज और कफ़न में|
घर की काल कोठारी खोल,
अपना नाम बताये होंगे ||
बच्चा है तू जच्चा है तू ,
कच्चा है तू पक्का है तू |
अपने आप गिरेगा पहले ,
अपने आप उठाये होंगे ||
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स्वीकृति 24 घंटों के बाद