होली रंग गुलाल की, होली मन का मोर |
पंख उघाड़े झाँकता, रंग डाले सर बोर ||
रंग के कितने रूप हैं, हर चेहरे की आँख |
होली बनकर देखता, उड़ जाता ले पांख ||
भाषा बोली रंग की, ढंग देय अनुकूल |
जो चाहे सो पोय ले, मधुर वचन के फूल ||
यह बसंत की गंध ही, दे जाती एहसास |
जिसमें अपने आप सब, खिल जाता आकाश ||
परिचय किसका पूंछते, यह बौराये आम |
अपनी भाषा बोलते, अपना देय पयाम ||
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स्वीकृति 24 घंटों के बाद