कविता सुनें

दोहा – करन बहादुर


 दोहा – करन बहादुर


(1)

कितने शुद्ध स्वाभाव से , कितने बुद्ध प्रभाव |

अनुभव उनके खोदता , उनका अंतर्भाव ||

(2)

ज्ञानी को गुर देत सब , ध्यानी को सब राग |

होरी उनके बीच में , उनका जागा जाग ||

(3)

सब में तुम अमृत घुले , सब में सरबत साक |

अंधी गठरी खोलता , जिसका जागा भाग ||

(4)

कर्म करे तो बोलता , बांटे सब वह ज्ञान |

हम तो खोले आँख वह , जिसमें फूटे प्रान ||

(5)

घंटे की ध्वनि में बजा , वह है राग विराग |

पंख लगाये जो चला , वह जाने सब भाग ||


-करन बहादुर, बादलपुर, दादरी, गौतमबुद्ध नगर - 203207 

मोबाईल – 09717617357

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