भारत का कण-कण चन्दन है
नए वर्ष का प्रथम दिवस यह ,
वंदन वा अभिनन्दन है ।
इस माटी का तिलक करो ,
भारत का कण-कण चन्दन है ।।
खुशबू को पहचान सको तो,
अपने अन्दर से आती ।
अपना अन्तर नाप सको तो,
इस श्रष्टि का स्पंदन है ।।
बंधन मुक्त बनाओ जीवन ,
स्वच्छंद विचारों के आगे ।
जाग सको तो जीवन अपना,
सपने सा शुभ नंदन है ।।
यौवन अपने भावों का बस ,
शक्ति समर्पण के आगे ।
भक्ति भाव बस मन में रखना,
तृप्ति भाव का संधन है ।।
(कारन बहादुर- नोयडा 9717618357, 9015151607)
No comments:
Post a Comment
स्वीकृति 24 घंटों के बाद