दीप जलाओ दिल महकाओ
फूलों की बरसात करो
अपने घर को मंदिर मानो
अपनी ही अरदास करो
लक्ष्मी मैया सब कुछ देंगी
बस अपने पर आस करो
भोगी योगी और वियोगी
सबको यह सन्देश हमारा
अपना परिचय अब खुद पूंछो
क्यों देख रहे हो द्वारा धारा
अपनी माटी अपना मंदिर
अपना मानो रूप हमारा
हम हैं थोड़े बहके चहके
रूप बदलते क्षण क्षण अपना
कूप बनाकर डूब उसी में
देख रहे हैं सब कुछ सपना
मंदिर किसका मूरत किसकी
अपना है सब अपना अपना
. करन बहादुर (नोयड) 9717617357
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