आप सभी को तथा देश
को समर्पित हमारे दोहे
गणतन्त्र
दिवस यह देश का, है
सबका सम्मान |
अपनेपन
का बोध दे, दे अपना अभिमान ||
गौरव
से जीने लगे, बनने लगे महान |
विश्व
गुरु की राह पर, अपना हिंदुस्तान ||
सपना
जैसा ही लगे, बढ़ता अपना देश |
भेष
बादल कर आ गया, नूतन ले परिवेश | |
स्वर्ग
हमारा देश है, सब कुछ है अनुकूल |
मिट्टी
पानी वायु वा, खनिज संपदा मूल ||
फूल
खिला सा देश यह, इसके रंग हजार |
ध्वजा
तिरंगा जो खिले महक उठे संसार ||
कवि,
पत्रकार एवं योग शिक्षक- करन बहादुर
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स्वीकृति 24 घंटों के बाद